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नीली बत्ती

राजन सिंह चौहान: कोरिया जिले के चिरिमिरी शहर में पुलिस महकमे में गुड वर्क तो बाहर आ जाता है लेकिन कई चर्चाओं की कान-ओ-कान भनक तक लगने नहीं दी जाती है। ऐसी चर्चाओं को चुटीले अंदाज में नीली बत्ती कालम लेकर आता है, आइए देखते हैं कि बीते सप्ताह पुलिस महकमे की क्या चर्चाएं खास रहीं…।

बेगारी का बहाना

नए कप्तान के आते ही शहर में सारे अवैध काम जैसे जुआ,सट्टा,गांजा अवैध शराब बन्द करवाया जा रहा… वही निजात कार्यक्रम के तहत नए कप्तान द्वारा पूरे जिले में नशा बंदी का कार्यक्रम भी चला रखे है जिसकी प्रशंशा आम जनमानस में देखते ही बन रही है और एसपी साहब की काफी प्रशंशा भी की जा रही है जिससे थानेदारो और अधिकारियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है इसी बीच मे अभी हाल ही में चिरिमिरी में नए थाना प्रभारी के चार्ज लेते ही पहले की तरह उनके खास बनने के लिए अवैध कारोबार करने वालो से थाना प्रभारी की बेगारी का बहाना बनाकर वसूली शुरू कर दी है उक्त सिपाही इस वक्त पुलिस विभाग में पूर्व की भांति काफी चर्चे में है वही थाना प्रभारी को इस बात की जानकारी थाना प्रभारी को नही है अब देखना यह है कि एसपी साहब तक ये बात कब पहुचती है

चालान चुभ रहे, यानी असर हो रहा

नए कप्तान के कोरिया शहर की यातायात व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए यातायात पुलिस इन दिनों ताबड़तोड़ चालान काट रही है। सड़क पर ट्रैफिक नियम तोड़ा नहीं कि तुरंत चालान हो रहा है। चालान का असर दिखाई भी पड़ रहा, इसकी गवाही कोर्ट में लगने वाली भीड़ दे रही हैं। इसका असर भी दिखाई पड़ रहा है बदलाव की रफ्तार धीमी है, मगर कामयाब है।

अफसरों के चहेतों सिपाहियों का आतंक

शहर में पुलिस अफसर के चहेते सिपाहियों का आतंक इस समय खूब है। इन सिपाहियों ने गुडवर्क के माध्यम से अफसरों का विश्वास हासिल किया हुआ है। इसी विश्वास के सहारे वे आम लोगों से वसूली के कार्यों में भी खूब व्यस्त हैं। अफसरों को इसकी भनक तक नहीं है कि जो सिपाही उनके लिए गुडवर्क का खाका तैयार करता है, वह समाज में किस कदर वसूली में व्यस्त है। यह सिपाही अफसरों का रौब गांठकर थानों में भी हस्तक्षेप करते हैं। शहर के थाना क्षेत्रों में ऐसे सिपाही मौजूद हैं। ऐसे कही सिपाही है जो कई सालों से एक ही जगह पर पदस्थ है जिनका उक्त थानों से अन्यंत्र थानों में कही जाना नही हुआ। नाम मात्र के शिर्फ़ कागजो में ही स्थान्तरण दर्शा दिया जाता है पर ड्यूटी उसी जगह पर रहती है।

सूत्रों के मुताबिक पूरे शहर में ऐसे पुलिसकर्मियों की संख्या लगभग दो दर्जन से अधिक है।

जमीन के सौदागर

अपने शहर में जमीन के सौदागरों की जमात बड़ी तेजी के साथ बढ़ रही है। शहर में कोट वाले, खादी वाले, खाकी वाले और कलम वालों ने मिलकर कई गिरोह बना लिए हैं। इनका काम है विवादित जमीनों पर कब्जे करना। इसके लिए किसी पर हमला करना,झूठे केश का सहारा लेकर दबाव बनाना,कानून तोडऩा इनके लिए बाएं हाथ का खेल है। पूरे तंत्र में ये लोग इस तरह से पैबस्त हो चुके हैं कि आम आदमी त्राहि-त्राहि कर रहा है। जानते सब हैं, लेकिन सच्चाई कहने की हिम्मत किसी में नहीं है। एक बुजुर्ग कोट वाले साहब बोले, हमारे जमाने में कभी ऐसा नहीं हुआ। अब तो कोट पहना ही इसलिए जा रहा है, ताकि जमीनें कब्जाई जा सकें। एक नहीं बल्कि दर्जनों मामले सामने आ चुके हैं। अब देखना यह है कि साहब इन मामलों में क्या फैसला लेते हैं।

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