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सक्षम वर्ग धनबल के जरिए वाजिब और गैर वाजिब तरीकों से न्याय प्राप्त कर लेता है,वंचित वर्ग का पूरा जीवन जेलों में सड़ने के लिए बाध्यःअजय सिंह

न्यायपालिका की पहल से जिलों पर भी होगा बोझ कम,लंबे समय से दोष सिद्ध ना होने के बाद भी जिलों में बंद विचाराधीन बंदियों को मिल सकेगा जमानत न्याय पालिका का सराहनीय कदम विचाराधीन बंदियों के बचाव में खड़े होंगे अच्छे अधिवक्ता सजायाफ्ता कैदियों की संख्या में तो आई गिरावट,परंतु अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि सोचनीय पैसे के भाव में गरीब तबके के लोग नहीं रख पाते थे अपना बचाव पक्ष,अब न्यायपालिका ही इनके बचाव के लिए अधिवक्ता की नियुक्त कोरिया जिले में गरीबों व विचाराधीन बंदियों के बचाव पक्ष के लिए चार डिफेंस काउंसिल हुए हैं नियुक्त डिफेंस काउंसिल का दो दिवसीय प्रशिक्षण संपन्न गरीबों को न्याय में मिले सुविधा,राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर ने कोरिया के लिए 4 डिफेंस कौंसिल हुए थे नियुक्त पैनल में पहले वकीलों को हर केस का दो से ढाई हजार रुपये मलते थे अब कमजोर वर्ग के पैरवी के लिए मिले सम्मानजनक मानदेय

राजन सिंह चौहान “संपादक”
कोरिया/बैकुण्ठपुर। न्यायपालिका में भी समय-समय पर बदलाव के साथ निर्दोषों को भी बे वजह सजा ना हो इसके लिए तरह तरह से काम करती है न्याय लोगों के लिए सरल हो इसके लिए भी न्यायपालिका हरसंभव पहल करती है पैसे वालों के लिए तो बड़े-बड़े अधिवक्ता आधी रात में भी न्यायालय का दरवाजा खुलवा लेते हैं पर गरीब तबके व कमजोर वर्ग के लोग पैसे के अभाव में बिना सजा हुए जेलों में कैद रहते हैं, जिन्हें विचाराधीन बंदी भी कहा जाता है, जिनके ऊपर ना तो दोष सिद्ध हो पाता है और ना वह अपना बचाव रख पाते हैं जिस वजह से जमानत भी नहीं मिल पाती है और वह लंबे समय तक जेलों में ही बिना बचाव के सजा काटने जैसी स्थिति हो जाती हैं, इन्हीं लोगों के लिए न्यायपालिका ने एक सराहनीय कदम उठाया है जिसमें कमजोर तबके के लोगों को भी अपना बचाव करने के लिए इन की सुविधा के लिए न्यायपालिका ने एक अच्छे अधिवक्ताओं का पैनल तैयार किया है और उनके बचाव के लिए उन अधिवक्ताओं को एक अच्छा मानदेय भी दिया जा रहा है ताकि इन अधिवक्ताओं की वजह से विचाराधीन लोगों का भी बचाव हो सके। न्यायपालिका के इस कदम से जिलों पर भी बोझ कम होगा क्योंकि जेल में भी क्षमता से ज्यादा विचाराधीन कैदियों के कारण समस्या बनी हुई है।
ज्ञात हो कि छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण पुराना उच्च न्यायालय भवन बिलासपुर द्वारा छत्तीसगढ़ के 18 जिला न्यायालय के लिए जिलों में स्थापित होने वाले लीगल एंड डिफेंस कौंसिल सिस्टम हेतु चीफ लीगल एंड डिफेंस कौंसिल, डिप्टी लीगल एंड डिफेंस कौंसिल एसोसिएट, लीगल एंड डिफेंस कौंसिल की संविदात्मक नियुक्ति की गई है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरिया बैकुंठपुर के लिए कोरिया जिला अधिवक्ता अजय कुमार सिंह को चीफ लीगल एंड डिफेंस कौंसिल पद पर नियुक्त किया गया, वही राजेंद्र प्रसाद कुशवाहा को डिप्टी चीफ लीगल एंड डिफेंस कौंसिल नियुक्त किया गया ‌साथ ही के.बी नामदेव व श्रीमती मंजू पांडेय को असिस्टेंट लीगल एंड डिफेंस कौंसिल नियुक्त किया गया। नियुक्त अधिवक्ताओं का दो दिवसीय प्रशिक्षण जुडिशल एकेडमी बिलासपुर में हुआ जहां पर जजों ने नियुक्त अधिवक्ताओं को उनका कार्य समझाया और उन्हें बताया कि कैसे आपको विचाराधीन व कमजोर वर्गों का बचाव करना है, जिनके लिए आप को नियुक्त किया गया है, नियुक्त अधिवक्ताओं का लाभ विचाराधीन को तब मिलेगा जब वह जिला विधिक प्राधिकरण में अधिवक्ता की मांग करेंगे ताकि उनके बचाव में नियुक्त अधिवक्ता खड़े हो सके।
मुद्दा इतना गंभीर होने के बाद भी आज तक किसी के जेहन में यह विकराल समस्या सामने नहीं दिखी
अधिवक्ता अजय सिंह ने महामहिम राष्ट्रपति की बाते यदा दिलाते हुए कहा की देश में संभवत पहली बार किसी ने इतने गंभीर मुद्दे को बहुत ही सहज और सरल तरीके से सामने रखा, मंच भी ऐसा जहां देश के सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के अलावा देश के विधि मंत्री और सम्माननीय न्यायाधीशों का सम्मेलन था। मुद्दा इतना गंभीर होने के बाद भी आज तक किसी के जेहन में यह विकराल समस्या सामने नहीं दिखी। आमतौर पर आम जनमानस और बुद्धिजीवियों का भी ध्यान इस ओर आकृष्ट नहीं हुआ, परंतु जैसे ही देश की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने इस मुद्दे पर बोलना प्रारंभ किया सभी की आंखें खुली रह गई। उन्होंने कहा की 2019 की राष्ट्रीय सर्वेक्षण के अनुसार जहां एक और देश की जेलों में कैदियों की संख्या में लगभग 9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हुई, वहीं दूसरी ओर अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या में 45 प्रतिशत की भारी वृद्धि हुई है। इस विकराल समस्या की ओर उंगली उठाते हुए महामहिम राष्ट्रपति ने कहीं ना कहीं न्यायपालिका को आईना दिखाने का काम किया।
शिक्षक,चिकित्सक और वकीलों को अपना भगवान मानते है
अधिवक्ता अजय सिंह के अनुसार जेलों में बंद अधिकांश अंडर ट्रायल के वे कैदी जो वंचित, दलित और शोषित वर्ग से आते हैं सामान्यतः गरीब हैं। जो न्याय प्रणाली में विहित महंगी विभीषिका के शिकार हैं। उन्होंने ने कहा कि गांव के लोग शिक्षक, चिकित्सक और वकीलों को अपना भगवान मानते हैं और चिकित्सक तथा वकीलों के पास लोग परेशानी में ही जाते हैं, ताकि उन्हें परेशानियों से निजात मिल सके। परंतु वर्तमान परिदृश्य में महंगी चिकित्सा के साथ-साथ कानून के पैरोकार की महंगाई, वंचित वर्ग के लिए भीषण विभीषिका का कार्य कर रही है। सक्षम वर्ग जहां धनबल के जरिए वाजिब और गैर वाजिब तरीकों से न्याय प्राप्त कर लेता है, वहीं वंचित वर्ग का पूरा जीवन जेलों में सड़ने के लिए बाध्य है। अधिकांश लोग महंगी व्यवस्था से परेशान होकर अपना बचत, धनसंपदा इस ओर गवाना नहीं चाहते और व्यक्ति छोटे-छोटे मामलों में भी जीवन भर जेल में रह जाता है।
जमानत योग्य होने पर भी आर्थिक कारणों से जमानत प्राप्त नहीं कर पाते
अधिवक्ता अजय सिंह के अनुसार जिस प्रकार वर्तमान परिस्थिति में अंडर ट्रायल कैदियों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, इनमें से ज्यादातर वंचित और शोषित वर्ग के लोग हैं, जो जमानत योग्य होने पर भी आर्थिक कारणों से जमानत प्राप्त नहीं कर पाते और बगैर किसी वाजिब कारण के सालों अपना जीवन जेल में बिताते हैं। उन्होंने कहा कि जेलों में निरुद्ध कैदियों की अधिकांश संख्या आदिवासियों, दलितों और वंचित वर्ग की है, तो इसका तात्पर्य यह नहीं कि यह आदतन अपराधी होते हैं। बल्कि इनके पीछे बहुत ऐसे कारण हैं जिनका निवारण कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका मिलकर कर सकती है। उन्होंने अपील की कि समय है मिलकर कार्य करने का, जिससे नए भारत का निर्माण किया जा सके।
सत्र न्यायालय में कम से कम 30 प्रकरणों में पैरवी करना अनिवार्य है
मुख्य डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरणों में पैरवी का न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव जरूरी है। साथ ही सत्र न्यायालय में कम से कम 30 प्रकरणों में पैरवी करना अनिवार्य है। उप डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरणों में पैरवी का न्यूनतम सात वर्ष का अनुभव होना चाहिए। सत्र न्यायालय में कम से कम 20 प्रकरणों में पैरवी आवश्यक है। सहायक डिफेंस काउंसिल के लिए आपराधिक प्रकरणों में एक वर्ष से तीन वर्ष का अनुभव होना चाहिए।
अक्षम लोगों को भी मिल सकेगा न्याय
अधिवक्ता अजय सिंह ने बताया कि यह व्यवस्था पहले काफी कम जिलों में ही थी पर अब छत्तीसगढ़ के 19 जिलों में यह संचालित होगी। छत्तीसगढ़ विधिक सेवा प्राधिकरण से उन लोगों को लाभ मिलेगा जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपना पक्ष पैसे के अभाव में अदालतों में नहीं रख पाते और वह इस वजह से विचाराधीन बंदी होकर लंबा समय सलाखों के पीछे बिताते हैं। डिफेंस काउंसिल सिस्टम का सबसे ज्यादा लाभ वंचित व आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलेगा। फिलहाल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, स्त्री, बालक, मानसिक रूप से अस्वस्थ व्यक्ति, विकलांग, औद्योगिक कर्मकार या ऐसा व्यक्ति जिसकी वार्षिक आय दो लाख रुपये से कम के विरुद्ध आपराधिक मामला दर्ज होने पर विधिक सेवा प्राधिकरण उसकी तरफ से कोर्ट में पक्ष रखने के लिए निःशुल्क वकील उपलब्ध करवाता है। ऐसे लोगों कि सुविधाओं के लिए न्यायपालिका ने इसे लागू किया है और यह काफी लाभकारी भी है। कमजोर तबके के लोगों के कई सारे विचाराधीन बंदियों को इस सेवा का लाभ मिलेगा, कमजोर तबके के लोगों के लिए न्यायालय में खड़े होकर उनका पक्ष रखेंगे जो पक्ष पैसा ना होने की वजह से अपना वकील नहीं कर पाते थे और अपना पक्ष नहीं रख पाते थे। कई ऐसे विचाराधीन बंदी जिन्हें जमानत पर या अपराध मुक्त होकर छूटना चाहिए, जो अभाव के कारण अपना पक्ष न्यायालय में रखने को सक्षम नहीं होते, इस नियुक्ति के बाद जिले में ऐसे लोगों के लिए त्वरित न्याय की व्यवस्था हो सकेगी।
पहले थी ऐसी सुविधा
पहले इसके लिए वकीलों की पैनल बनाई गई है पैनल में शामिल वकीलों को हर केस का दो से ढाई हजार रुपये तक भुगतान किया जाता है। पैनल में शामिल वकीलों को निजी वकालत की अनुमति भी होती है। इसके चलते जिला विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा सौंपे गए मामलों पर ये वकील अपना पूरा ध्यान नहीं दे पाते, इसका सीधा नुकसान पक्षकार को होता है पर नई व्यवस्था के तहत डिफेंस काउंसिल के रूप में नियुक्त वकील को एक ही काम करना होगा उन्हें निजी वकालत की अनुमति नहीं होगी। इससे पीडç¸त पक्ष को न्याय मिलने में अपेक्षाकृत आसानी होगी।
निजी वकालत की रहेगी मनाही
अभियोजन अधिकारी के समान ही विधिक सेवा प्राधिकरण के डिफेंस काउंसिल के लिए अलग से कार्यालय की व्यवस्था की जाएगी। उन्हें आफिस सहायक, क्लर्क, टाइपिस्ट, मुंशी व अन्य कर्मचारियों की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। डिफेंस काउंसिल की नियुक्ति दो वर्ष के लिए होगी और इस दौरान वे वकील निजी वकालत नहीं कर सकेंगे। राज्य में डिफेंस काउंसिल सिस्टम अलग- अलग चरणों में लागू किया जाएगा। डिफेंस काउंसिल की सुविधा महज आपराधिक मामलों में ही मिलेगी।

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