अंतर्विभागीय व्यवसायिक समन्वय : एससी/एसटी एक्ट के प्रकरण हेतु आशा की किरण
दिनांक 29.04.2024 को अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक, शहडोल ज़ोन डी.सी. सागर द्वारा जिला उमरिया में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत पंजीबद्ध अपराधों की समीक्षा बैठक निम्नलिखित बिन्दुओं पर की गई – 1.विवेचना से संबंधित अभियोजन की राय 2.अपराध के पीडि़तों का राहत प्रकरण 3.पीडि़तों का जाति प्रमाण पत्र 4.अपराधों का विधिवत् चालान
– राजन सिंह चौहान –
शहडोल। इस समीक्षा बैठक में एडीजीपी डी.सी. सागर द्वारा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक उमरिया प्रतिपाल सिंह महोबिया, एसडीएम बांधवगढ़ रीता डेहरिया, जिला अभियोजन अधिकारी उमरिया अर्चना रानी मरावी, डी.एस.पी. अजाक मान सिंह टेकाम, ए.डी.पी.ओ. काशीराम पटेल, आदिम जाति कल्याण विभाग उमरिया के आर.डी. भारती, थाना प्रभारी अजाक जोधन सिंह परस्ते, निरीक्षक कस्तूरिया उइके, प्रधान आरक्षक राजवती मार्को, थाना प्रभारी कोतवाली राजेश चंद्र मिश्रा एवं अन्य अधिकारी/कर्मचारी के साथ उक्त बिन्दुओं पर चर्चा कर निम्नलिखित निर्देश दिए गए :-
1. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अंतर्गत अपराध कायमी के तुरंत बाद एफआईआर की सूचना संबंधित विभागों को दी जाये और इसकी प्रतिलिपि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों को भी दी जाये ताकि संबंधित विभागों द्वारा प्रकरण में समुचित कार्यवाही शीघ्र की जा सके। साथ ही अंतर्विभागीय समन्वय बना रहे। 2. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के अपराध के कायमी की सूचना प्राप्त होने पर, फरियादी का जाति प्रमाण पत्र न होने पर राजस्व विभाग द्वारा शीघ्र जाति प्रमाण पत्र जारी करने से संबंधित आवश्यक कार्यवाही की जाये जिससे आदिम जाति कल्याण विभाग द्वारा पीडि़त को विधिवत् राहत राशि का भुगतान शीघ्र किया जा सके।
3. पुलिस अधिकारियों द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के पीडि़तों के लिए निर्धारित राहत राशि के प्रकरण नियमानुसार शीघ्र आदिम जाति कल्याण विभाग को भेजे जायें जिससे पीडि़तों को राहत राशि समय पर प्राप्त हो सके।
4. पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के प्रकरणों में विवेचना के दौरान अभियोजन शाखा से प्रकरणों की स्क्रूटनी करवायें और स्क्रूटनी को विवेचना का हिस्सा बनायें ताकि विवेचना में वैज्ञानिक/फोरेंसिक साक्ष्य संकलन, परिस्थितिजन्य साक्ष्य एवं साक्षियों के कथन व्यवसायिक दृष्टि से सुसंगत हो सकें।
5. अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के लंबित अपराधों की विवेचना पुलिस मुख्यालय द्वारा जारी एसओपी के अनुसार सुनिश्चित करें।
अंतर्विभागीय व्यवसायिक समन्वय के लिए डीसी सागर द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित प्रकरणों में कार्यरत सभी उपस्थित अधिकारियों में एक नवीन प्रेरणा का संचार निम्नलिखित पंक्तियों के माध्यम से किया :
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती
कोशिश करने वालों की हार नहीं होती