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एमसीबी और कोरिया जिले पहुंचे नव पदस्थ सरगुजा आईजी अंकित गर्ग, लेकिन पत्रकारों से नहीं हो पाई चर्चा

पत्रकारों को पुलिस ने ही आईजी से मिलने से रोका ,पत्रकारों को गुमराह कर मिलने का समय बताया गलत। कोरिया व एमसीबी जिले के पुलिसकर्मियों ने पत्रकारों को वह समय बताया जिस समय पर आईजी ले रहे थे बैठक, इंतजार कर पत्रकार लौटे वापस। क्या कोरिया व एमसीबी की पुलिस नहीं चाहती थी कि पत्रकार आईजी से करें मुलाकात क्योंकि खुल जाएगी उनकी पोल? आईजी के व्यवस्था के लिए लगे रहे दो चर्चित प्रधान आरक्षक। पत्रकारों से बिना मिले आईजी आ गए अंबिकापुर पर उनके मन में भी था यह सवाल कि आखिर पत्रकारों के साथ क्यों नहीं हो पाई प्रेस वार्ता।

राजन सिंह चौहन – संपादक –

एमसीबी/कोरिया।  कोरिया व एमसीबी पुलिसिंग की जितनी भी तारीफ की जाए वह कम है विवादों से यहां के पुलिस वालों का नाता रहा है खराब पुलिसिंग इनकी पहचान रही है, खबर कितना भी छपे ,लोग शिकायत कितना भी कर लें इन दोनों जिले के पुलिसकर्मियों की कार्यप्रणाली में सुधार नहीं आना है चाहे अच्छे अधिकारी डांट फटकार ही क्यों ना कर ले पर सुधार की उम्मीद तो नहीं है। इसी कड़ी में यदि बात की जाए तो सरगुजा के नव पदस्थ आईजी अंकित गर्ग पदभार ग्रहण करने के बाद अपने संभाग के जिलों का दौरा कर रहे हैं और वहां की पुलिसिंग को समझने का प्रयास कर रहे हैं और अपने अनुसार लोगों के लिए अच्छी पुलिसिंग हो इसका वह प्रयास करेंगे पर जहां उन्होंने पहला दौरा सूरजपुर जिले का किया था वहां पर उन्होंने पत्रकारों से अच्छी चर्चाएं की पर वहीं जब उनका दौरा कोरिया व एमसीबी जिले में हुआ वहां पर प्रेस वार्ता आयोजित तो की गई पर पत्रकार नहीं पहुंच पाए या यह कहा जाए की इन दोनों जिले की पुलिस ही नहीं चाहती थी की प्रेस वार्ता हो इस वजह से उन्हें वह समय दिया गया जिस समय पर आईजी साहब अपने अधिकारियों व कर्मचारियों की बैठक ले रहे थे पत्रकार इंतजार करते-करते चल पड़े,पत्रकार आईजी साहब की प्रेस वार्ता में जाने के लिए काफी इच्छुक थे और वह चाहते थे कि अपने जिले की पुलिसिंग को बेहतर करने के लिए उनके पास अपनी बातें रखें पर वह अपनी बात नहीं रख पाए और इसकी वजह सिर्फ पुलिस कर्मियों की पत्रकारों को गुमराह करना बताया जा रहा है। सूत्रों का यह भी कहना है कि उच्च अधिकारी भी नहीं चाहते थे कि पत्रकार इनसे मिले ताकि जिले की पुलिस की कमियां आईजी साहब के कानों तक ना पहुंच सके जिसके लिए  प्रधान आरक्षक भी पत्रकारों के संपर्क में थे और मुलाकात पत्रकारों से ना हो प्रेस वार्ता ना हो ऐसा वह चाह भी रहे थे। वही आईजी साहब भी इस दुविधा में देखे गए की आखिर इन दो जिले के पत्रकार क्यों प्रेस वार्ता में नहीं पहुंचे आखिर इसकी वजह क्या है शायद आईजी साहब भी इस वजह से अनभिज्ञ हों पर वजह तो उन्हें भी पता करनी होगी और वह भी अपने तरीके से गोपनीय तरीके से ताकि उन लोगों को ना पता चल सके जो आईजी साहब तक पत्रकारों को नहीं पहुंचने देने में लगे हुए थे।

कहीं एमसीबी व कोरिया के पत्रकारों का प्रेस वार्ता में न पहुंचना पुलिस का षड्यंत्र तो नही?
एमसीबी जिला और कोरिया जिला पहुंचे नए आईजी पुलिस से पत्रकार नहीं मिल सके,जबकि ऐसी प्रथा रही है की नया अधिकारी अपने पहले दौर पर पत्रकार वार्ता जरूर करता है,अब इन दो जिलों में ऐसा क्यों नहीं हुआ क्यों आईजी बिना पत्रकारों से मिले ही लौट गए यह बड़ा प्रश्न है।नए अधिकारी किन विषयों पर अपनी कार्यप्रणाली विभाग की सुधारेंगे वह किन उद्देश्यों के साथ काम करेंगे यह प्रेस वार्ता का महत्व होता है लेकिन दोनो जिलों में जो नहीं हुआ, सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार कुछ पुलिस वालो  का ही षड्यंत्र की बात सामने आ रही है जो कि गंभीर बात है और यह जांच का विषय है।
वैसे जांच कौन करेगा और क्यों करेगा यह भी सवाल ही है क्योंकि जिनके जिम्मे जांच है वही तो पूरी अव्यवस्था का कारण बने जैसा पत्रकारों के बीच ही चर्चा है की यह षड्यंत्र ही था जो उन्हे मिलने नहीं दिया गया आईजी से?
नव पदस्थ आईजीबी बेहतर पुलिसिंग के लिए हैं प्रतिबद्ध… पर क्या सुधार पाएंगे बिगड़ी पुलिसिंग?
नए आईजी बेहतर पुलिसिंग के लिए प्रतिबद्ध हैं जैसा बताया जा रहा है लेकिन क्या वह पहले से बिगड़ी व्यवस्था सुधार पाएंगे,क्या वह उन पुलिसकर्मियों पर नकेल लगा पाएंगे जो अपनी मनमानी और अपनी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली के लिए मशहूर हैं यह देखने वाली बात होगी,क्या नए आईजी वर्षों से स्पेशल बनकर विभाग में मलाई काट रहे पुलिसकर्मियों पर भी नकेल लगा पाएंगे उन्हे वह आम पुलिसकर्मी की तरह काम करने निर्देशित कर पाएंगे यह भी देखने वाली बात होगी

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