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भरतपुर सोनहत कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरो की पत्नी व्यवसायी है या मितानीन?

कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरो ने पत्नी के मितानिन होने की जानकारी छुपा व्यवसायी क्यों बतलाया? विधायक की पत्नी के पास साल 2018 में 2 लाख 91 हजार 704 रुपए थे अब 2023 में विधायक की पत्नी के पास 42 लाख 16 हजार 536 रुपये है। विधायक की पत्नी की संपत्ति 5 सालों में 21 गुना बढ़ गई फिर भी वह गरीबी रेखा राशनकार्ड से राशन ले रही थी।  कांग्रेस प्रत्याशी के पत्नी का गरीबी रेखा में भी नाम था दर्ज,जिपं सदस्य बहन ने भी लिया दोहरा मानदेय। सत्ता का भरपूर फायदा उठाने में आगे रहे गुलाब कमरो पर लग रहे अनेक आरोप। हाईप्रोफाईल हुई भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में कमरो को मिल रही जोरदार टक्कर। क्या 5 वर्ष तक स्वेच्छानुदान लेने वाले मीडियाकर्मी अब कर रहे कमरो का गुणगान? अपराधी भी घूम रहे गुलाब कमरो के साथ,रेणुका सिंह ने उठाया मुद्दा।

– राजन सिंह चौहान –

मनेंद्रगढ़। भरतपुर सोनहत क्षेत्र से वर्तमान विधायक और कांग्रेस प्रत्याशी गुलाब कमरो की परेशानी भी अब धीरे-धीरे बढती जा रही है,पहले 5 वर्ष में उनकी संपत्ति में 36 गुना ईजाफा की खबर सामने आई तो अब जो खबर मिल रही है उसके अनुसार गुलाब कमरो की पत्नी के द्वारा मितानीनी के रूप में भी मानदेय लेने की जानकारी मिली है, उनका खुद का व्यवसाय तो है ही साथ ही उन्होने गरीबी रेखा का कार्ड भी बनवा रखा था, गुलाब कमरो की बहन जो कि जिला पंचायत की सदस्य है उन पर भी दोहरा मानदेय का आरोप लग रहा है, कुल मिलाकर ऐसा प्रतीत होता है जैसा कि गुलाब कमरो ने सत्ता के नशे में हर वह काम किया है जो हो सकता था, कुछ समय तक भरतपुर सोनहत क्षेत्र में एकमात्र नेता के रूप में खुद को स्थापित करने की सोचने वाले गुलाब कमरो को भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह से कड़ी टक्कर भी मिल रही है ऐसा सूत्रो का कहना है। रेणुका सिंह द्वारा अब अपने चुनाव प्रचार अभियान को गति दे दी गई है, और गुलाब कमरो पर रोज चुनावी हमले किये जा रहे है जिससे कि कमरो की परेशानी बढती हुई दिखलाई दे रही है।

 

मिलिजानकारी के अनुसार भरतपुर सोनहत से कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो की पत्नी लीलावती का गरीबी रेखा का राशन कार्ड का मामला सामने आने के बाद अब विधायक की पत्नी को सरकारी मानदेय देने का मामला सामने आया है। विधायक की पत्नी के अलावा बहन उषा सिंह करियाम सरकार से डबल मानदेय ले रही है। एक जिला पंचायत सदस्य का मानदेय तो स्वास्थ्य विभाग में विकासखंड समन्वयक का मानदेय ले रही है। वही विधायक की पत्नी व्यवसायी होने के साथ ही सरकार सारः मितानिन होने का मानदेय ले रही है। विधायक गुलाब कमरो द्वारा जो शपथ पत्र निवार्चन आयोग को दिया गया है उसमें पत्नी के मितानिन होने की जानकारी छुपाई गई है। शपथ पत्र के मुताबिक विधायक ने अपनी पत्नी को व्यवसायी बताया है। विधायक गुलाब कमरो की पत्नी मेसर्स पूजा एग्री एंड एलाइड की मालकिन है और आईटीआर भी भर रही है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि एक फर्म की मालकिन होने के बाद भी विधायक की पत्नी सरकार से मितानिन का मानदेय कैसे ले रही है? वही विधायक की बहन जो जिला पंचायत सदस्य है उषा सिंह करियाम भी सरकार से डबल मानदेय ले रही है। एक मानदेय जिला पंचायत सदस्य का तो दूसरा मानदेय मितानिन कार्यक्रम में विकासखंड समन्वयक होने का। मतलब साफ है कि विधायक का परिवार सरकारी पैसे ऐंठ रहा है। 

गृहणी से बन गयी व्यवसायी और मितानीन

गुलाब कमरो ने 2018 के विधानसभा चुनाव में जो शपथ पत्र दिया था उसके मुताबिक उनकी पत्नी 2018 में गृहणी थी। न तो उनके नाम का कोई पैन कार्ड था और न ही उनके नाम पर कोई फर्म था। विधायक की पत्नी के पास साल 2018 में 2 लाख 91 हजार 704 रुपए थे अब 2023 में विधायक की पत्नी के पास 42 लाख 16 हजार 536 रुपये है। मतलब विधायक की पत्नी की संपत्ति इन 5 सालों में 21 गुना बढ़ गई फिर भी वह गरीबी रेखा राशनकार्ड से राशन ले रही थी। 

पत्नी मितानीन,लेकिन गुलाब कमरो ने जानकारी छिपाई

गुलाब कमरो की पत्नी लीलावती जो कि मितानीन के रूप में भी कार्यरत हैं,और वे एक व्यवसायी के रूप में आयकर भी जमा करती हैं, वे मितानीन के रूप में भी कार्य करते हुए बकायदा मानदेय प्राप्त कर रही हैं, इस बात की जानकारी हलांकि गुलाब कमरो ने अपने शपथ पत्र में प्रदर्शित नही किया है,लेकिन विरोधियों ने इसकी जानकारी निकालकर सार्वजनिक कर दिया है,जो कि अब चर्चा का विषय बन चुका है। भाजपा प्रत्याशी द्वारा उक्त मामले को तेजी से हवा दी जा रही है।

जिला पंचायत सदस्य बहन भी लेती है दोहरा मानदेय

गुलाब कमरो की बहन ऊषा करियाम जो कि जिला पंचायत सदस्य भी हैं,और स्वास्थ्य विभाग में मितानीन कार्यक्रम की विकासखंड समन्वयक के रूप में भी कार्यरत हैं जिसका मानदेय भी उन्हे दिया जाता है। हलांकि बहन ऊषा करियाम गुलाब कमरो पर आश्रित नही हैं लेकिन यह कहा जा सकता है कि उनके संरक्षण में ही जिला पंचायत सदस्य एवं विकासखंड समन्वयक के रूप में मानदेय लेने की हिम्मत जुटाई गई है। कुल मिलाकर गुलाब कमरो ने सत्ता का भरपूर लाभ लिया है जैसा कि देखने को मिल रहा है।

कई क्षेत्रों में छूटभैये नेताओं ने मचाई लूट

विधायक बनने के बाद न सिर्फ गुलाब कमरो एवं उनका परिवार बल्कि उनसे जुड़े छुटभैये नेताओं ने भी इस कदर लूट मचाया है कि जनता उनसे त्रस्त हो चुकी थी,हर काम में उनका हस्तक्षेप देखने को मिलता था,जो कार्यकर्ता पूर्व में शासकीय आयोजनो में कुर्सी के लिए तरसते थे वे दबाव वश शासकीय कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में देखे गए। चाहे सोनहत जनपद पंचायत का क्षेत्र हो या भरतपुर जनपद पंचायत का क्षेत्र इन दोनो वनांचल क्षेत्रों में कमरो समर्थको ने निर्माण कार्यो में जमकर लूट मचाई है,ऐसा कोई भी कार्य नही रहा जिसमें छूटभैये नेताओं का हस्तक्षेप ना रहा हो।

मिल रही कड़ी टक्कर,रेणुका ने 15 दिनों में बनाया माहौल,जोड़ा बनास से अपना रिश्ता

जब शेर जंगल में अकेला होता है तो वह खुद को बलवान समझता है,पूरे पंाच वर्ष गुलाब कमरो का हाल ठीक इसी प्रकार का रहा है,विपक्ष के नेताओं की जनता मेे पकड़ कमजोर थी जिससे कि कमरो ने खुद को स्थापित कर लिया था,उन्हे जरा भी यकीं नही था कि रेणुका सिंह जैसी दबंग प्रत्याशी को उनके खिलाफ चुनावा लड़ाया जाएगा। लेकिन अब स्थिति एकदम बदलती हुई नजर आ रही है,रेणुका सिंह ने अपने प्रचार अभियान की शुरूआत नवरात्र के शुभ अवसर पर किया था,भारी तामझाम के साथ पहले दौरे में ही उन्होने जनता को आकर्षित किया,सारे नेताओं को समेटकर एकजूटता बनाने की कोशिश की,सोनहत से लेकर भरतपुर और अब मनेंद्रगढ के ग्रामीण क्षेत्रो में उनका दौरा जारी है,दौरे में जुट रही भीड़ और चेहरे पर दिख रही मुश्कान बदलाव की ओर भी ईशारा करती है। शुरूआती समय में कांग्रेस की ओर से बाहरी प्रत्याशी बतलाने की कोशिश की गई लेकिन भरतपुर सोनहत क्षेत्र को उन्होने मायका बतलाया,भरतपुर क्षेत्र में बहने वाली बनास नदी से भी रेणुका सिंह ने रिश्ता जोड़कर खुद को स्थानीय उम्मीदवार बताने में भी सफलता हासिल की।

विधायक बनने के बाद कमरो का बदला अंदाज,पड़ेगा असर

कभी आरटीआई कार्यकर्ता और फिर विधायक बन जाना गुलाब कमरो के लिए भी किसी सपना से कम नही था,वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में प्रदेश भर में भाजपा के खिलाफ बने माहौल और तात्कालिन उम्मीदवार चंपा देवी पावले की कमजोरी का फायदा गुलाब कमरो को मिला,और जनता ने उन्हे विधायक के रूप में चुना। प्रांरभ में तो गुलाब कमरो का सामान्य रूप था लेकिन जैसे जैसे उनकी नजदीकी प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से बनती गई उनका रूप भी बदलता गया,यहां तक कि गुलाब कमरो की चाल भी बदल गई जो कि चर्चा का विषय भी है। बोलचाल से लेकर हर अंदाज बदल गया,पहले सरल स्वभाव और मृदुभाषी के रूप में पहचान रखने वाले गुलाब कमरो के ऊपर भी सत्ता का नशा इस कदर चढा कि उनका हर एक अंदाज बदल गया जो कि अब चुनाव के दौरान भारी पड़ रहा है।

अधिकारी,कर्मचारी भी रहे परेशान,दोनो जिले मे था हस्तक्षेप

विधायक गुलाब कमरो ने अपने कार्यकाल में अधिकारी कर्मचारियों को भी परेशान करने में कोई कसर नही छोड़ी है,उनका कोरिया एवं एमसीबी दोनो जिले में हस्तक्षेप देखा गया,कई अधिकारी कर्मचारियों को उन्होने सत्ता की गर्मी दिखलाई,यहां तक कि कर्मचारियों का स्थानांतरण कराकर उन्हे जबरन परेशान किय गया। स्वहित में मनमुताबिक अधिकारियो कर्मचारियों की पदस्थापना भी कराई गई।

बैकुंठपुर का ठेकेदार बना करोड़पति,कर रहा कमरो का गुणगान

सूत्रो ने बतलाया कि बैकुंठपुर का एक ठेकेदार जो कि गुलाब कमरो का खास है भरतपुर सोनहत क्षेत्र के हर निर्माण कार्य में उसका हस्तक्षेप है,करोड़ो के कार्य उसके द्वारा इस क्षेत्र में गुलाब कमरो के संरक्षण में किया जा रहा है,उक्त ठेकेदार गुलाब कमरो का गुणगान करते फिर रहा है और उनके जीत के दावे करता है। बैकुंठपुर के कई और ठेकेदार है जो कि भरतपुर क्षेत्र में निर्माण कार्य कर रहे हैं ऐसे में कांग्रेस के कार्यकर्ता भी नाखुश बतलाये जाते हैं।

भरतपुर क्षेत्र में जिन्होने मचाया आंतक वे भी कमरो के खास

इन पांच वर्ष में भरतपुर का क्षेत्र पूरी तरह से अशांत ही रहा है,विधायक गुलाब कमरो के संरक्षण से उनके कई करीबियो ने अशांति फैलाने की भरपूर कोशिश भी की है,यहां तक कि कांग्रेस के ब्लाक अध्यक्ष भी सचिव की प्रताड़ना से मौत के मामले में आरोपी हैं तो वहीं उनका पुत्र हत्या के मामले का आरोपी है। भरतपुर क्षेत्र में ब्लाक अध्यक्ष के साथ कुछ अन्य समर्थको ने लोगो को प्रताड़ित करने में कोई कमी नही की है। रेणुका सिंह ने अपने सोशल मीडिया पेज से भी इस मुद्वे को उठाय है।     

सोनहत क्षेत्र के छूटभैये नेताओ ने भी खूब लूटा

भरतपुर सोनहत विधानसभा का 90 प्रतिशत क्षेत्र वनांचल है जहां पर अधिकांश जनता भोली भाली है आज भी सुविधाओं के लिए तरस रही है,दूरस्थ क्षेत्रों मंे आज भी विकास की रोशनी नही पहुंच सकी है। इन सबका फायदा कमरो समर्थको ने उठाने में कोई कमी नही की है,सोनहत जनपद पंचायत क्षेत्र में भी गिनती के चार-पांच ऐसे समर्थक थे जो कि हर काम में हस्तक्षेप करते थे,। किसी भी शासकीय विभाग का मामला हो कमरो समर्थको ने खुद को विधायक बतलाते हुए जमकर बंदरबाट की है।

विधायक नही थे तो करते थे रेत का विरोध,फिर साधी चुप्पी

भरतपुर क्षेत्र में वर्षो से रेत का अवैध कारोबार फल फूल रहा है, पूर्ववर्ती भाजपा शासनकाल में गुलाब कमरो के द्वारा खुद अवैध रेत उत्खनन,परिवहन का विरोध किया जाता था लेकिन जब वे विधायक बने और कांग्रेस सत्ता में आई तो ऐसा लगने लगा जैसे उनके द्वारा अवैध रेत कारोबारियों को खुद संरक्षण दिया जाने लगा। रेत कारोबारियों के खिलाफ सड़क की लड़ाई लड़ने वाले गुलाब कमरो ने इस मामले पर एकदम चुप्पी साध ली,वे खुद उसमें संलिप्त हो गए या नही लेकिन उनकी चुप्पी आज भी सवाल पैदा करती है। रेत कारोबारियों से उनके संबंध हैं इससे इंकार नही किया जा सकता।

कमरो के लिए आसान नही है जीत

भरतपुर सोनहत के लिए खुद को स्थापित नेता मानकर चल रहे विधायक गुलाब कमरो के लिए इस बार भी जीत जाना आसान नही लगता,उनकी प्रतिद्वंदी रेणुका सिंह अपने कार्यशैली के कारण चर्चित हैं, उनके अंदाज के कारण आज सभा भाजपा कार्यकर्ता उत्साहित दिखलाई दे रहे हैं,आज जन और खासकर महिलाओं में उनके प्रति एक प्रेम और विश्वास का वातावरण देखा जा रहा है,गुलाब कमरो समर्थको द्वारा इस क्षेत्र में मचाई गई लूट अब चर्चा का विषय बन चुका है। रेणुका सिंह जैसा प्रतिद्वंदी मिलने के बाद कमरो की जीत पर खतरा दिखलाई दे रहा है, रेणुका सिंह केन्द्र में मंत्री हैं और उन्हे भी कई चुनाव का अनुभव है। वे स्वयं में मजबूत भी हैं, आदिवासी वर्ग का नेतृत्व भी करती हैं। रेणुका सिंह की गिनती ऐसे नेताओं में की जाती है जिन्होने स्व. तुलेश्वर सिंह जैसे जोगी शासनकाल के दबंग नेताओं को परास्त कर राजनीति में अपना वर्चस्व स्थापित किया था, उनके नजदीकियो का कहना है कि राजनीति के मामले में रेणुका सिंह के सामने गुलाब कमरो को काफी मशक्कत करनी पडेंगी। पूर्व में इस क्षेत्र में कार्यकर्ता चुनाव के दौरान सुविधाओं के लिए तरसते थे लेकिन इस बार किसी प्रकार की कमी नही है, जिससे कि वातावरण में बदलाव नजर आ रहा है।

चेरवा समाज में लगाई सेंध,कई और संपर्क में

भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह का राजनैतिक अंदाज अन्य नेताओ की तुलना में एकदम भिन्न है, 15 दिनों के प्रचार अभियान में ही उन्होने जिस प्रकार गति पकड़कर अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है उससे राजनीति के जानकार भी हतप्रभ हैं। रेणुका सिंह ने अब कांग्रेसियो में सेंध लगाना शुरू कर दिया है, भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र में गोड़ समाज के साथ ही चेरवा समाज की बहुलता है, चेरवा समाज के प्रांतीय सचिव नंद कुमार सोनवंशी एवं प्रांतीय सह सचिव बृज सोनवंशी ने कांगे्रस छोड़ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। इससे निश्चित ही भाजपा को फायदा मिलेगा।

स्वेच्छानुदान प्राप्त मीडियाकर्मी कर रहे गुणगान

विधायक गुलाब कमरो ने अपने कार्यकाल में जनसंपर्क निधि में भी खूब मनमानी की है,जरूरत मंदो को दरकिनार कर महलो में रहने वालो को भी स्वेच्छानुदान की राशि वितरित की है, यही नही उनके द्वारा खुद के पक्ष में मीडियाकर्मियों को आकर्षित करने के लिए भी बड़ी राशि स्वेच्छानुदान के रूप में उपलब्ध कराई गई है। अब ऐसे स्वेच्छानुदान प्राप्त मीडियाकर्मी हर मंच पर गुलाब कमरो का गुणगान कर उनका कर्ज चुका रहे हैं।

रेणुका सिंह ने भी साधा निशाना

विधायक की पत्नी द्वारा सरकारी मानदेय लेने व बहन द्वारा सरकार से डबल मानदेय लेने को लेकर केंद्रीय राज्यमंत्री और भरतपुर सोनहत सारः भाजपा प्रत्याशी रेणुका सिंह ने कहा है कि कांग्रेस विधायक गुलाब कमरो ने 5 सालों में भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र का नहीं खुद और अपने परिवार का विकास किया है। 5 साल में विधायक की संपत्ति 36 गुना बढ़ी है तो उनकी पत्नी जो खुद व्यवसायी भी है और मितानिन का मानदेय ले रही है। बहन जो जिला पंचायत सदस्य है वो जिला पंचायत सदस्य के साथ ही विकासखंड समन्वयक का भी पैसा सरकार से ले रही है। पैन कार्ड धारी होने के बाद भी विधायक की पत्नी के नाम पर गरीबी रेखा राशनकार्ड बना होना यह बताता है कि किस तरह विधायक और उनका परिवार गरीबो का राशन डकार रहे है। 17 नवम्बर को भरतपुर सोनहत विधानसभा क्षेत्र की जनता विधायक को सबक सिखाने मतदान केंद्रों में जाएगी।

 

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