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भिलाई में एक कांग्रेसी नेता के संरक्षण में चल रहा था महादेव का सट्टा बाजार, आरक्षक यादव की पत्नी के अकाउंट से होता था करोड़ों का ट्रांजैक्शन…!

गौर करने वाली बात यह यह है कि ,पुलिस पहले ही मान चुकी है कि कई पुलिसकर्मी पहले से महादेव सट्टा से जुड़े हुए हैं।

          आरक्षक भीम सिंह यादव की पत्नी सीमा यादव।

 

राजन सिंह चौहान – संपादक –

महादेव सट्टा ऐप मामले में एक कांग्रेस विधायक का नाम लगातार सामने आ रहा है। उसी कड़ी को जोड़ते हुए भिलाई के सुपेला थाने में पदस्थ रहे आरक्षक भीम सिंह यादव की पत्नी को ईडी ने नोटिस जारी किया है। सीमा यादव के घर नोटिस चस्पा कर उसे कार्यालय में पेश होने को कहा है। राष्ट्रबोध को मेरी जानकारी के अनुसार सीमा यादव के खाते में कई बड़े ट्रांजेक्शन किए गए हैं। अधिकारी दो दिन पहले भीम सिंह के घर पहुंचे। लेकिन ताला लगा होने के चलते नोटिस बाहर बाउंड्री वाल पर चस्पा कर चले गए।

गौर करने वाली बात यह है कि महादेव सट्टा एप की शुरुआत भिलाई से हुई थी यही कारण है कि विधानसभा चुनाव के दौरान भिलाई और वैशाली नगर के कुछ प्रत्याशियों को मोटी रकम भी उपलब्ध करवाई गई थी।

विधानसभा चुनाव से ठीक पहले ईडी के अफसरों ने रायपुर और भिलाई से लगभग 7 करोड़ रुपए के साथ गिरफ्तार असीम दास उर्फ बप्पा और आरक्षक भीम सिंह यादव को गिरफ्तार किया था।

ईडी द्वारा चस्पा किया गया नोटिस।

ईडी ने बीते 3 नवंबर को भिलाई के हाउसिंग बोर्ड निवासी असीम दास उर्फ बप्पा के घर और रायपुर स्थित होटल से लगभग 7 करोड़ रुपए नगद जब्त किया था। इस दौरान 15 करोड़ से अधिक के ऑनलाइन अकाउंट सीज किए गए थे। ईडी ने आरक्षक भीम यादव और असीम बप्पा को गिरफ्तार कर रायपुर कोर्ट में अजय सिंह राजपूत की बेंच में पेश किया। आरक्षक और असीम दास अभी भी न्यायिक हिरासत में है।आरक्षक भीम सिंह यादव और उसके दोनों भाई आरक्षक नकुल यादव और सहदेव यादव शुरुआत से ही महादेव सट्टा ऐप में संलिप्त है। इसकी वजह से इन तीनों ने बड़े पैमाने पर काला धन अर्जित किया है। ईडी ने जब भीम सिंह का अकाउंट खंगाला। तो पत्नी के अकाउंट में भी बड़ी रकम का ट्रांजेक्शन होना पाया गया। इसी वजह से ईडी ने भीम की पत्नी सीमा यादव को समन भेजकर कार्यालय में पेश होने को कहा है।

गौर करने वाली बात यह यह है कि ,पुलिस पहले ही मान चुकी है कि कई पुलिसकर्मी पहले से महादेव सट्टा से जुड़े हुए हैं। लेकिन पड़ताल में यह बात पता चली की एक स्थानीय कांग्रेस के सत्ता से जुड़े हुए नेता की साफ-साफ इसमें संलिप्ता थी, जिस वजह से पुलिस पर भी दबाव बनाया जाता था।

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