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रायपुर- मुकेश गुप्ता, रेखा – गीता नायर, अमन सिंह और यास्मीन सिंह की चल अचल संपत्ति खरीदने वाले भी अब नपेंगे । मुकेश गुप्ता और संजय चौधरी के नक्सली कनेक्शन की भी होगी अब जांच

  • रायपुर : पूर्व भाजपा के रमन सिंह की सरकार के कार्यकाल में आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने वाले प्रभावशाली अधिकारियों की संपत्ति की खरीदी करने वाले लोग भी अब जांच के दायरे में आएंगे और वह संपत्ति पहले सीज होगी और फिर राजसात । दरअसल राज्य सरकार ने सस्पेंड डीजीपी मुकेश गुप्ता की बेनामी सम्पत्तियों की जांच के दौरान पाया है कि उसे ठिकाने लगाने के लिए आरोपी और उसके गुर्गे उन सम्पत्तियों को औने पौने दाम मे बेचने के लिए सौदा कर रहे है । दलालो के जरिये भी कई सम्पत्तियों को बेचने के लिए सौदा बाजार में घुमाया जा रहा है । बताया जा रहा है कि यही हाल अमन सिंह और उनकी पत्नी यास्मीन सिंह के नाम पर खरीदी गयी जमीनों का है । छत्तीसगढ़ सरकार ने सत्ता में आते ही पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह के करीबी और सुपर सीएम के दर्जे के रूप में विख्यात अमन सिंह के खिलाफ एसआईटी का गठन किया था । एसआईटी को कई मामलो में बिंदुवार जांच करने के लिए निर्देशित किया गया था । लेकिन मामले के अदालत में विचारधीन होने के चलते एसआईटी जांच पर फिलहाल रोक लगी है | हालांकि राज्य सरकार को उम्मीद है कि जल्द ही यह रोक भी हट जायेगी | इसके लिए कई अनियमितताओं और गड़बड़ी के वैधानिक सबूत सरकार जल्द ही अदालत के समक्ष रखी जाएगी | आरोपी मुकेश गुप्ता ने हवलदार रेखा नायर और उसकी बहन गीता नायर के अलावा उसके कई नाते रिश्तेदारों के नाम से सम्पत्तियाँ खरीदी है | वही सिंह दंपत्ति ने भी नया रायपुर के अलावा राज्य के बाहर के कई जिलों में इन दस वर्षो में बेहिसाब सम्पत्तियाँ क्रय विक्रय की | छत्तीसगढ़ में जांच एजेंसियां इन अफसरों की नामी बेनामी सम्पत्तियों को ठिकाने लगाए जाने की कवायत से सतर्क हो गयी है | अफसरों ने साफ़ किया है कि उनके पास भारी तादाद में ऐसी चल – अचल सम्पत्तियों की पुख्ता जानकारी है, जो ब्लैक मनी और सरकारी धन की बन्दरबांट से खरीदी गयी है । उनके मुताबिक इसमें से कई सम्पत्तियों का नामांतरण हुआ और कई सिर्फ रजिस्ट्री और स्टांप पेपर में एग्रीमेंट तक सीमित है । उन्होंने चेतावनी दी है कि ऐसी सम्पत्तियों की खरीदी बिकी करने वालो के खिलाफ भी कड़ी कार्यवाही होगी ।

ई.डी. , आयकर विभाग , सी.बी.आई. और एन.आई.ए. को भी सौपा जा रहा है आरोपी मुकेश गुप्ता के गैरकानूनी कार्यों का लेखा जोखा :- वर्ष 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी और सस्पेंड डीजी मुकेश गुप्ता की कारगुजारियों का लेखा जोखा चार एजेंसियों को विधिवत सौपे जाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है । दरअसल इस पूरे मामले को अब केंद्रीय गृह मंत्रालय और कार्मिक मंत्रालय के अफसरों ने भी संज्ञान में ले लिया है । एक जानकारी के मुताबिक आरोपी मुकेश गुप्ता ने लोक सेवक रहते लगभग दो हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति अर्जित की । इसमें एमजीएम ट्रस्ट की रायपुर और बिलासपुर स्थित चल अचल संपत्ति भी शामिल है । इसके अलावा नक्सली संगठनो से होने वाली आमदनी को लेकर भी जांच जल्द मूर्त रूप लेगी । बताया जाता है कि आरोपी मुकेश गुप्ता के बेहद करीबी बारूद कारोबारी संजय चौधरी के बारूद से भरे ट्रक अक्सर नक्सल प्रभावित बस्तर में गायब हो जाया करते थे । बारूद से लदे ट्रको की आवाजाही सस्पेंड डीजी मुकेश गुप्ता की निगरानी में होती थी । सिर्फ उन ट्रको की ही गुमशुदगी दर्ज कराई जाती थी , जिनकी भनक पत्रकारों और चंद पुलिस कर्मियों को होती थी । बारूद से लदे बाकि ट्रक नक्सलिओ के कब्जे में चले जाते थे । यह भी बताया जा रहा है कि स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी के प्रमुख कर्ता-धर्ता संजय चौधरी के साथ मुकेश गुप्ता ने कई बार रूस और चीन की यात्रा की है । इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य सैर सपाटा नहीं बल्कि बड़े नक्सली नेताओ से मेल मुलाकात बताई जा रही है । यह भी तथ्य सामने आया है कि इन यात्राओं के दौरान आरोपी मुकेश गुप्ता ने कई कीमती गिफ्ट भी स्वीकार किये थे । इस पर छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के गृह मंत्रालय ने उनसे स्पष्टीकरण भी पूर्व में माँगा था । दरअसल भारतीय प्रशासनिक सेवा से जुड़े अफसरों के लिए स्पष्ट प्रावधान है कि 15 हजार रूपये से महंगे गिफ्ट स्वीकार करने की विधिवत सूचना उन्हें सरकार को देनी होगी । इस नियम के उल्लंघन को लेकर आरोपी मुकेश गुप्ता के खिलाफ अभी भी जांच लंबित है । आरोपी मुकेश गुप्ता और नक्सली संगठनो के बीच घनिष्ठ समबन्धो की भी जानकारी सामने आ रही है । बताया जाता है कि राजनांदगांव के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक वी.के. चौबे की नक्सली मुठभेड़ में मौत और बस्तर की झीरम घाटी में कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हुए नक्सली हमले में आरोपी मुकेश गुप्ता का भी हाथ है । दोनों ही मामलो में उसकी कार्य प्रणाली बेहद संदेहजनक और जांच के दायरे में है । एक सरकारी रिकार्ड के मुताबिक बस्तर के तत्कालीन वनसंरक्षक और सीनियर आईएफएस अधिकारी एमटी नंदी ने पुलिस और सरकार को बस्तर की झीरम घाटी में नक्सलिओ की मौजूदगी की लिखित सूचना दी थी । लेकिन तत्कालीन ADG इंटिलिजेंस के पद पर तैनात मुकेश गुप्ता ने इसे दरकिनार कर दिया था । आखिरकर 25 मई 2013 को नक्सलिओ ने कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में शामिल सभी बड़े नेताओ और कार्यकर्ताओ समेत कुल 32 लोगो को मौत के घाट उतारा था । झीरमघाटी हत्याकांड के कुछ माह पूर्व ही स्पेशल ब्लास्ट कंपनी का बारूद से लदा ट्रक बस्तर से गायब हुआ था, और पुलिस ने सिर्फ इस ट्रक की गुमशुदगी दर्ज कर मामला रफा दफा कर दिया था । जबकि बारूद से लदे ट्रक की आवाजाही को लेकर भारत सरकार और फायर सेफ्टी विभाग के स्पष्ट निर्देश है । इस मामले में मुकेश गुप्ता ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए बारूद की गुमशुदगी मामले की जांच ही नहीं होने दी । आखिर क्यों इतने गंभीर मामले की जांच तत्कालीन पुलिस अफसरों ने नहीं, यह भी जांच का विषय है ।

छत्तीसगढ़ में नक्सलिओ के पास बारूद की खेप की खेप :- छत्तीसगढ़ में बीते 10 सालो में नक्सलिओ ने पुलिस , डी.आर.जी., केंद्रीय सुरक्षा बलों के अलावा सैकड़ो आम नागरिको को बारूदी सुरंगो , प्रेशर बमो और कई तरह की आई.ई.डी. से मौत के घाट उतारा है । इन वर्षो में सुरक्षा एजेंसियां यह पता करने में नाकामयाब रही है कि नक्सलिओ को बारूद और विस्फोटक सामग्री आखिर कहां से मुहैया हो रही है । बताया जा रहा है कि आरोपी मुकेश गुप्ता की गैरकानूनी कार्यप्रणाली के चलते छत्तीसगढ़ में बीते दस वर्षो में बारूद का कारोबार करने वाली कई कंपनियों ने अपना कारोबार समेट लिया । वही दूसरी ओर स्पेशल ब्लास्ट नामक कंपनी ने दिन दुगना और रात चौगुना कारोबार कर बाजार में अपना एकाधिकार कायम कर लिया है । इस कंपनी के बारूद के आवक और बाजार में उसकी खपत की जांच की जाए तो कई चौकाने वाली जानकारियां सामने आएगी ।

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