नान घोटाला / निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता के खिलाफ विभागीय जांच शुरू
- नान घोटाले में पद दुरुपयोग कर फोन टैपिंग कराने का है आरोप, ईओडब्ल्यू कर रहा है जांच
- जांच एजेंसी के सामने 21 मई को होना था पेश, अब 7 जून को डीजीपी से होगा सामना
रायपुर. छत्तीसगढ़ के निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता की मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। बहुचर्चित नान घोटाले में आईपीएस गुप्ता के ऊपर फोन टैपिंग कराने का आरोप है। अब इस मामले में विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मुकेश गुप्ता को अब 7 जून को डीजीपी डीएम अवस्थी के सामने पेश होने के निर्देश दिए गए हैं। इस दौरान फोन टैपिंग मामले में मुकेश गुप्ता का बयान लिया जाएगा।
बेटी की तबीयत खराब होने के चलते आने से किया था मना
- फोन टैपिंग के मामले में आर्थिक अनुसंधान शाखा (ईओडब्ल्यू) पहले से ही जांच कर रही है। अब इस मामले में विभागीय जांच भी शुरू हो गई है। मुकेश गुप्ता को 21 मई को ईओडब्ल्यू के सामने पेश होना था, लेकिन उन्होंने बेटी की तबीयत अचानक खराब हो जाने का हवाला देते हुए, दिल्ली में होने की बात कहकर आने से मना कर दिया। अब इस मामले में 6 या 7 जून को मुकेश गुप्ता को दोबारा बयान दर्ज कराने के लिए ईओडबल्यू के समक्ष पेश होना है।
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पहले भी एक बार हो चुकी है पूछताछ, 16 बिंदुओं पर पूछे गए थे सवाल
ईओडब्ल्यू ने आईपीएस मुकेश गुप्ता को फोन टैपिंग मामले में नोटिस भेजकर 23 अप्रैल को पूछताछ के लिए बुलाया था, लेकिन वो दो दिन बाद 25 अप्रैल को पेश हुए। अनुसंधान शाखा ने 16 बिंदुओं पर पहले से पहले से तैयार किए गए सवाल उनसे पूछे। ईओडब्ल्यू चीफ आईजी जीपी सिंह ने बताया कि आईपीएस मुकेश गुप्ता से जिन विषयों पर पूछताछ की गई है, उसे सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। आगे भी उनको पूछताछ के लिए बुलाया जाएगा।
- नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले को राज्य सरकार ने 9 फरवरी को को डीजी व आईपीएस मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह को निलंबित कर दिया था। दोनों के खिलाफ 8 फरवरी को गैरकानूनी तरीके से फोन टैपिंग को लेकर एफआईआर दर्ज हुई थी। फोन टैपिंग का यह मामला 2015 का है। उस वक्त मुकेश गुप्ता ईओडब्ल्यू और एसीबी के एडीजी थे। फोन टैपिंग में एफआईआर होने को लेकर यह प्रदेश में पहला मामला है। इस घोटाले में अभी तक कई अधिकारियों पर शिकंजा कस चुका है।क्या है पूरा मामला
- छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन के बाद नान घोटाले पर जांच के आदेश दिए गए. तब ये खुलासा हुआ था कि छापे के पहले नान के अफसरों और कर्मचारियों का फोन टेप हो रहा था. इसके पुख्ता सबूत मिलने के बाद ईओडब्लू ने तत्कालीन डीजी मुकेश गुप्ता, एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ केस दर्ज किया. इस मामले में ईओडब्लू के ही डीएसपी आरके दुबे ने डीजी और एसपी के खिलाफ बयान दिया था कि उनके दबाव में उन्होंने अफसरों के फोन अवैध रूप से टेप करवाने का आदेश जारी किया। हालांकि बाद में दुबे का बयान विवादों में पड़ गया.बयान देने के बाद आरके दुबे ने हाईकोर्ट में हलफनामा दे दिया कि उन पर दबाव डालकर बयान लिखवाया गया था. पर कुछ दिनों बाद उन्होंने फिर हाईकोर्ट में नया हलफनामा देकर अपने पिछले शपथपत्र को गलत ठहराया. उन्होने आरोप लगाया कि मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के कहने पर ही उन्होंने अवैध तरीके से अफसरों का फोन टेप किय. इसी केस में सवाल जवाब के लिए मुकेश गुप्ता को नोटिस जारी कर पूछताछ के लिए बुलाया गया था।