Breaking newsLatest Newsछत्तीसगढ़

देखें video- बिलासपुर कलेक्टर ने एक सराहनीय पहल करते हुए एक बच्ची के चेहरे में खुशी दी बिखरे

राजन सिंह चौहान

बिलासपुर/

बिलासपुर कलेक्टर ने एक सराहनीय पहल करते हुए एक बच्ची के चेहरे में खुशी बिखरे दी है । और जेल की चारदीवारी में कैद इस मासूम के सपनो को उड़ान देने का कार्य कर एक मिसाल पेश की । बिलासपूर कलेक्टर की इस पहल की चारो ओर जमकर तारीफ हो रही है ।

कलेक्टर अपनी गाड़ी में बैठाकर खुशी को केंद्रीय जेल से लेकर गये स्कूल और उसका दाखिला करवाया।


जब एक पिता अपनी बेटी को खुद से विदा करता है तब दोनों तरफ से सिर्फ आंसू ही बहते हैं। आज बिलासपुर केंद्रीय जेल में ऐसा ही नजारा देखने को मिला। जेल में बंद एक सजायफ्ता कैदी अपनी 6 साल की बेटी खुशी( बदला हुआ नाम) से लिपटकर खूब रोया। वजह बेहद खास थी। आज से उसकी बेटी जेल की सलाखों के बजाय बड़े स्कूल के हॉस्टल में रहने जा रही थी।

करीब एक माह पहले जेल निरीक्षण के दौरान कलेक्टर डॉ संजय अलंग की नजर महिला कैदियों के साथ बैठी खुशी पर गयी थी। तभी वे उससे वादा करके आये थे कि उसका दाखिला किसी बड़े स्कूल में करायेंगे। आज कलेक्टर कलेक्टर डॉ संजय अलंग खुशी को अपनी कार में बैठाकर केंद्रीय जेल से स्कूल तक खुद छोड़ने गये।

कार से उतरकर खुशी एकटक स्कूल को देखती रही। खुशी कलेक्टर की उंगली पकड़कर स्कूल के अंदर तक गयी।

एक हाथ में बिस्किट और दूसरे में चॉकलेट लिये वह स्कूल जाने के लिये सुबह से ही तैयार हो गयी थी।
आमतौर पर स्कूल जाने के पहले दिन बच्चे रोते हैं। लेकिन खुशी आज बेहद खुश थी। क्योंकि जेल की सलाखों में बेगुनाही की सजा काट रही खुशी आज आजाद हो रही थी। कलेक्टर की पहल पर शहर के जैन इंटरनेशनल स्कूल ने खुशी को अपने स्कूल में एडमिशन दिया।

वह स्कूल के हॉस्टल में ही रहेगी। खुशी के लिये विशेष केयर टेकर का भी इंतजाम किया गया है। स्कूल संचालक श्री अशोक अग्रवाल ने कहा है कि खुशी की पढ़ाई और हॉस्टल का खर्चा स्कूल प्रबंधन ही उठायेगा।

खुशी को स्कूल छोड़ने जेल अधीक्षक एस तिग्गा भी गये।

आपको बता दें कि खुशी के पिता केंद्रीय जेल बिलासपुर में एक अपराध में सजायफ्ता कैदी हैं। पांच साल की सजा काट ली है, पांच साल और जेल में रहना है। खुशी जब पंद्रह दिन की थी तभी उसकी मां की मौत पीलिया से हो गयी थी। पालन पोषण के लिये घर में कोई नहीं था। इसलिये उसे जेल में ही पिता के पास रहना पड़ रहा था। जब वह बड़ी होने लगी तो उसकी परवरिश का जिम्मा महिला कैदियों को दे दिया गया। वह जेल के अंदर संचालित प्ले स्कूल में पढ़ रही थी। लेकिन खुशी जेल की आवोहवा से आजाद होना चाहती थी। संयोग से एक दिन कलेक्टर जेल का निरीक्षण करने पहुंचे। उन्होंने महिला बैरक में देखा कि महिला कैदियों के साथ एक छोटी सी बच्ची बैठी हुयी है। बच्ची से पूछने पर उसने बताया कि जेल से बाहर आना चाहती है। किसी बड़े स्कूल में पढ़ने का उसका मन है। बच्ची की बात कलेक्टर को भावुक कर गयी। उन्होंने तुरंत शहर के स्कूल संचालकों से बात की और जैन इंटरनेशनल स्कूल के संचालक खुशी को एडमिशन देने को तैयार हो गये।


कलेक्टर की पहल पर जेल में रह रहे 17 अन्य बच्चों को भी जेल से बाहर स्कूल में एडमिशन की प्रक्रिया शुरु कर दी गयी है। वही पूरे मामले में बिलासपुर जेल प्रबंधन भी इस काम के लिए बहुत खुश नजर आ रहा है

देखें video/

 

Related Articles

Back to top button