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हाथों में कॉपी किताब की जगह थमाई बाल्टी, पढ़ाई के समय छात्रों से पानी ढुलवाते हैं शिक्षक

मनेंद्रगढ़ के पाराडोल में बड़काबहरा स्कूल के छात्र पढ़ाई के समय बाल्टी से पानी भरते नजर आए.छात्रों को पानी लाने के लिए शिक्षकों ने ऑर्डर दिया था.जब ये मामला सामने आया तो शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करने की बात कही है.

मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर। छत्तीसगढ़ में शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार चिंतित है.केंद्र सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं का नारा भी दिया है. लेकिन जिले के पाराडोल में शिक्षा की दूसरी तस्वीर सामने आई है.बड़काबहरा गांव के प्राथमिक और माध्यमिक शाला स्कूल के छात्र-छात्राएं पढ़ाई के बजाए पानी भरने में व्यस्त हैं.जिन हाथों में किताबें और कॉपियां होनी चाहिए,उन हाथों में पानी की बाल्टियां दिखाई दे रही है.

किसने कहने पर हो रही पानी ढुलाई ? :जब न्यूज प्राईम 18 की टीम मौके पर पहुंची तो बच्चों को पानी भरते देखा.पूछे जाने पर पता चला कि स्कूल शिक्षकों ने छात्रों को पानी भरने को कहा है.जिसके लिए बच्चे रोड क्रास करके पानी भरने के लिए एक किलोमीटर दूर जाते हैं.बच्चों के पानी लाकर स्कूल में भरने की तस्वीरें कैमरे में कैद की गई.लेकिन जब इस बारे में शिक्षकों से पूछा गया तो उन्होंने चुप्पी साध ली.पूरे मामले पर जब जिला शिक्षा अधिकारी अजय मिश्रा से बात कि तो उन्होंने मीडिया के माध्यम से जानकारी मिलने की बात कही है.”मुझे जानकारी मिली है कि स्कूल में बिजली न होने के कारण मनेंद्रगढ़ के पाराडोल में बड़काबहरा स्कूल के छात्र पढ़ाई के समय बाल्टी से पानी भरते नजर आए.छात्रों को पानी लाने के लिए शिक्षकों ने ऑर्डर दिया था.जब ये मामला सामने आया तो शिक्षा विभाग ने कार्रवाई करने की बात कही है.ट्यूबवेल बंद था. इस वजह से पानी ना होने के कारण सामने के हैंड पंप से पानी मंगाया गया था लेकिन इसकी जानकारी नहीं थी कि वह बच्चों से मंगवाया गया था.यदि ऐसा हुआ है तो जांच के बाद कार्रवाई होगी.” अजय मिश्रा, जिलाशिक्षाधिकारीस्कूल को शिक्षा का मंदिर कहा जाता है. लेकिन शिक्षा के मंदिर में बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षक ही खिलवाड़ कर रहे हैं.पढ़ाई के समय छात्रों को एक किलोमीटर दूर पानी लेने के लिए भेजना कहां तक सही है. स्कूल में भले ही बिजली ना हो,लेकिन इस काम के लिए छात्रों की मदद लेना कतई ठीक नहीं.

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