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आइजी रतनलाल डांगी ने की अपील- अवैध गतिविधियों की दें सूचना

राजन सिंह चौहान

बिलासपुर। नौ महीने के अल्प कार्यकाल में उत्कृष्ट कार्यशैली से सरगुजा रेंज में अपनी अलग छवि बनाने वाले पुलिस महानिरीक्षक रतन लाल डांगी का कर्तव्य के प्रति समर्पण एक बार और देखने को मिला।
सरगुजा पुलिस महानिरीक्षक का कार्यभार सौंपने के तत्काल बाद उन्होंने इंटरनेट मीडिया पर बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, जांजगीर -चांपा मुंगेली तथा गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिले वासियों के नाम एक अपील जारी किया। इंटरनेट मीडिया में उन्होंने बिलासपुर रेंज आइजी के व्हाट्सएप नंबर को सार्वजनिक करते हुए लोगों से अपील की कि संबंधित जिलों में जुआ, शराब, गांजा,सट्टा, कबाड़ सहित दूसरे अवैध गतिविधियों को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी हो तो उनके (आइजी) व्हाट्सएप नंबर 9479193000 पर सूचना दी जा सकती है।

सूचना देने वाले का नाम और पता गोपनीय रखा जाएगा। जिस दौरान आइजी रतन लाल डांगी ने इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट शेयर किया,उस दौरान उन्होंने बिलासपुर रेंज आइजी का पदभार भी नहीं संभाला था। शुक्रवार सुबह ही आईजी डांगी बिलासपुर के लिए रवाना हुए है थे। दोपहर में वे बिलासपुर आइजी का पदभार ग्रहण किये। सरगुजा आइजी के पद पर रहते हुए रतनलाल डांगी ने ‘गाइड द यूथ ग्रो द नेशन” अभियान चलाकर युवाओं को आगे बढ़ने के लिए लगातार प्रोत्साहित किया।

नशे के खिलाफ उन्होंने अभियान चलाया। उनके दिशा—निर्देश में सरगुजा, सूरजपुर, बलरामपुर जशपुर और कोरिया जिले में नशा पान करने वालों के अलावा नशे के सामानों की बिक्री करने वालों के खिलाफ प्रभावी कार्रवाई की गई। वे इंटरनेट मीडिया के हर प्लेटफार्म पर सजग रहने वाले अधिकारी थे। जनता के लिए 24 घंटे उपलब्ध रहते थे। किसी भी प्रकार की समस्या आने पर उसका निराकरण वे प्राथमिकता के साथ किया करते थे।


पुलिसिंग के नाम पर मनमानी करने वाले अधिकारी कर्मचारियों के खिलाफ भी कार्रवाई करने से पीछे नहीं हटे। बेसिक पुलिसिंग में सुधार के लिए उनके निर्देशों ने स्वच्छ छवि के ईमानदार अफसरों पर भी नई ऊर्जा का संचार किया था। वे ऐसेे पुलिस महानिरीक्षक थे जिन्होंने स्पष्ट आदेशित किया था कि सरगुजा रेंज के किसी भी जिले में यदि निरीक्षक उपलब्ध है तो उप निरीक्षक को थाने का प्रभारी नहीं बनाया जाएगा।
पुलिस चौकी के लिए भी उन्होंने सहायक उपनिरीक्षकों के बजाय उप निरीक्षकों को जवाबदारी देने की व्यवस्था लागू की थी। फरियादियों को त्वरित न्याय उनका सिद्धांत था। वे प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वाले युवाओं के रोल मडल बन कर सामने आए थे।

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