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उच्च अधिकारियों का भी तबादला कराने भरते थे दम,ऊंची पकड़ का था इन पुलिस कर्मियों को घमंड

आईजी सरगुजा के आदेशों की अवहेलना पर निलंबित हुए एमसीबी जिले के चर्चित प्रधान आरक्षक व आरक्षक।

– स्थानीय थाना से मोह छूट नहीं रहा था और अब जिले से बाहर तबादला होने पर प्रधान आरक्षक व आरक्षक को हुई काफी तकलीफ।

– आम लोगों को तकलीफ देने वाले प्रधान आरक्षक व आरक्षक तबादले के 50 दिन बाद भी नहीं गए नवीन जिले, झेलनी पड़ी निलंबन की कार्यवाही।

– आईजी सरगुजा के तबादले सूची से क्षेत्र के लोगों में था हर्ष व्याप्त और आईजी की कार्यवाही की हो रही थी तारीफ पर स्थानीय थाना छोड़ने से इन पुलिस कर्मियों को थी काफी दिक्कत।

– अधिकारियों को अपनी पकड़ का धौंस दिखाने वाले इन पुलिसकर्मियों के ऊपर कार्यवाही करना था सही फैसला।

– क्षेत्र की जनता इन रसूखदार आरक्षक व प्रधान आरक्षक से थी परेशान।

– इन प्रधान आरक्षक व आरक्षक के खिलाफ थी काफी शिकायतें…वसूली में भी थी इन्हें महारत हासिल।

– अपने गृह निवास के थाने में रहना उनकी थी पहली प्राथमिकता… जिले के बाकी थानों में नहीं जाना चाहते थे यह आरक्षक व प्रधान आरक्षक।*

– तबादले के बाद जाना ना पड़े इसके लिए खूब की थी सिफारिश ,पर हुए नाकाम।

– स्वास्थ्य खराब होने का बहाना बनाया मेडिकल लगाकर समय को टाला अंततः हुई कार्रवाई।

– अपने उच्च अधिकारियों का तबादला करवाने तक का भी भरते थे दम… पर अपने तबादले पर छूटने लगे पसीने।

– राजन सिंह चौहान –

एमसीबी/बलरामपुर/सरगुजा।अंततः पुलिस महानिरीक्षक सरगुजा ने उन तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया जिन्होंने आईजी सरगुजा के आदेशों की अवहेलना की थी और आईजी कार्यालय से जारी तबादला आदेश उपरांत भी वह पदस्थ जिले से रवानगी मिलने के बाद भी नवीन जिले में जाकर अपनी नवीन पदस्थापना स्थल पर कार्यभार ग्रहण नहीं कर रहे थे।

निलंबित किए गए तीन पुलिसकर्मियों में से प्रधान आरक्षक और आरक्षक के नाम शामिल हैं जो एमसीबी जिले में पदस्थ थे और जिनकी लगातार शिकायत के बाद आईजी सरगुजा ने उनका तबादला बलरामपुर जिले के लिए किया था।

आईजी सरगुजा ने यह तबादला 50 दिन पूर्व किया था और तभी से यह तीनों पुलिसकर्मी चिकित्सा अवकाश पर थे और अपना तबादला रुकवाने एड़ी चोटी का जोर लगा रहे थे जिसमे उन्हे सफलता नहीं मिली और अंत में उन्हे निलंबित कर दिया गया आदेश की अवहेलना मानकर।

अब इन तीनो पुलिसकर्मियों को जीवन निर्वाह हेतु वेतन भत्ता मिलता रहेगा और इनकी बहाली कब होगी यह आगे पता चलेगा।

वैसे यह तीनों पुलिसकर्मी एमसीबी जिले में पूर्व में पदस्थ थे वहीं यह ज्यादातर उन्ही पुलिस थानों में पदस्थ चलते आ रहे थे जो उनके गृह निवास क्षेत्र से लगे हुए पुलिस थाने थे।

काफी सुर्खियों में रहने वाले यह पुलिसकर्मी थाना क्षेत्र के लोगों को परेशान भी खूब किया करते थे जिसकी वजह से इनकी शिकायत भी अधिक थी जिसका पता चलते ही आईजी सरगुजा ने इनका तबादला अन्य जिले में किया था जहां यह जाना नहीं चाहते थे और अंततः निलंबित होना पड़ा इन्हे।

इनका अपने गृह निवास क्षेत्र के पुलिस थानों से इतना मोह हो चुका था की यह उसको छोड़ना पड़े इसके लिए निलंबित होना भी स्वीकार कर लिए और अब निलंबन पश्चात भी यह गृह निवास क्षेत्र के ही थानों में आने का प्रयास करेंगे यह उनका प्रयास रहने वाला है।

थाना क्षेत्र में वसूली इनकी आदत थी जो अन्य जिले में संभव नहीं हो पाता इसलिए इन्होंने अपने तबादले के पश्चात भी काफी एड़ी चोटी का जोर लगाया और जिसमे वह सफल नहीं हो सके।

अब तीनों पुलिसकर्मी निलंबित किए गए हैं आदेशों की अवहेलना का उनके ऊपर आरोप लगा है वरिष्ठ कार्यालय के और ऐसे में आगे क्या वरिष्ठ कार्यालय इनके विरुद्ध और कोई कार्यवाही करेगा यह देखने वाली बात होगी।

यह निलंबन का दंड इनका स्व प्रायोजित एक दंड न हो यह भी एक संभावना है जिसके तहत हो सकता है की निलंबन से बहाली यह पुनः उसी जिले में ले लें जिस जिले में यह लगातार कार्यरत थे और जहां से हटाए जाने के बाद ही इन्होंने वरिष्ठ कार्यालय के आदेशों की अवहेलना की थी और जिसके कारण यह निलंबित किए गए हैं।

तीन पुलिसकर्मी जिनके विरुद्ध आईजी सरगुजा ने की है निलंबन की कार्यवाही

एमसीबी जिले में कार्यरत वहीं गृह पुलिस थाना क्षेत्रों में ही कार्यरत तीन पुलिस कर्मी जिनकी लगातार शिकायतों के बाद आईजी सरगुजा ने जिले से बाहर अन्य जिले में पदस्थापना की थी जिनका तबादला किया गया था उनमें प्रधान आरक्षक और आरक्षक के नाम शामिल हैं।

प्रधान आरक्षक 78 अमित जैन,प्रधान आरक्षक 55 संदीप बागिश,आरक्षक क्रमांक 135 चंद्रसेन सिंह यह वह तीन नाम हैं जो एमसीबी जिले से बलरामपुर जिले भेजे गए थे जिन्हे एमसीबी जिले से रवानगी लेने उपरांत भी बलरामपुर जिले में कार्यभार ग्रहण नहीं करने के फलस्वरूप निलंबित किया गया है आईजी सरगुजा द्वारा।इन तीनों को एमसीबी जिले से रवानगी लेने उपरांत दो बार कार्यभार ग्रहण करने हेतु नोटिस भी भेजा गया था बावजूद इन्होंने 50 दिवस तक कार्यभार ग्रहण नहीं किया जिसके कारण इन्हें निलंबित किया गया है।

गृह जिले गृह पुलिस थानों में ही वर्षों से थे पदस्थ,अन्यत्र जाना इन्हे नहीं था गंवारा

एमसीबी जिले से बलरामपुर भेजे गए वहीं वहां कार्यभार ग्रहण नहीं करने के कारण जिन तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है वह एमसीबी जिले के ही निवासी हैं वहीं जिन पुलिस थानों में वह लगातार पदस्थ रहे वह उनका गृह क्षेत्र का ही पुलिस थाना रहा।गृह जिले के गृह थाना क्षेत्रों में यह तीनों लगातार पदस्थ रहे वहीं यह कभी भी इन पुलिस थानों से अन्यत्र जाने तैयार नहीं हुए।

एमसीबी जिले में ही पदस्थ रहते हुए यह तीनों कभी गृह पुलिस थाना क्षेत्र छोड़ने तैयार नहीं हुए वहीं लगातार वहीं जमे रहे।

यही कारण था जिसके अंतर्गत आईजी सरगुजा ने इनका तबादला किया था जिसके बाद इन्हे एमसीबी जिले से रवानगी भी मिली थी लेकिन इन्होंने तबादला स्थल पर जाकर आमद देना मुनासिब नहीं समझा।

यह तीनों गृह जिला गृह थाना क्षेत्र कभी छोड़ना ही नहीं चाहते ऐसा माना जाता है।वैसे भी नियम अनुसार इनका तबादला होना था जो हुआ भी लेकिन इन्होंने आदेश का पालन नहीं किया।

ऊंची पकड़ और अपनी धौंस अधिकारियों पर दिखाने में माहिर हैं तीनों पुलिसकर्मी

आईजी सरगुजा ने जिन तीन पुलिसकर्मियों को आदेश की अवहेलना का हवाला देते हुए निलंबित किया है वह तीनों अपनी ऊंची पकड़ और धौंस अधिकारियों पर भी जमाने का हुनर रखते थे।

तीनों की ऊंची पकड़ है और वह जिसके दम पर जैसा चाहेंगे वैसा ही विभाग में होगा यह उनका आत्मविश्वास था।

आईजी सरगुजा ने उनके इसी आत्मविश्वास को अवहेलना माना और उन्हे निलंबित कर नियम का पालन नहीं करने पर दंड के प्रावधान का एहसास कराया।

एमसीबी जिले के तीनों पुलिसकर्मी अब तक गृह जिले के पुलिस थानों में ही पदस्थ अपनी ऊंची पकड़ के दम पर रहते चले आ रहे थे।

वैसे इनकी ऊंची पकड़ पुरवर्ती सरकार के कार्यकाल में ही थी जैसा बताया जाता है अब सत्ता परिवर्तन के बाद इनकी सुनने वाला कोई नहीं जिसके कारण इनका इस बार पहुंच पकड़ काम नहीं आया जो बताया जा रहा है।

एमसीबी जिले से तबादला होने से खुश हुए थे लोग,तीनों पुलिसकर्मियों से त्रस्त थे क्षेत्र के लोग

जब एमसीबी जिले से इन तीनों पुलिसकर्मियों का तबादला किया गया था तब जिले वासी साथ ही उन थाना क्षेत्रों के लोग जहां यह पदस्थ थे काफी प्रसन्न हुए थे।

उन्हे जैसे इसी दिन का इंतजार था।

अपनी दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर प्रसिद्ध इन तीनों पुलिसकर्मियों से लोग काफी त्रस्त थे जैसा की लगातार सुना देखा जाता था जिससे इनके तबादले के बाद लोगों ने राहत की सांस ली थी।

थाना क्षेत्र में लोगों को बेवजह परेशान करना वसूली करना आदत थी इनकी जो क्षेत्र के लोगों के लिए परेशानी का सबब थी।

इनके खिलाफ काफी शिकायतें थीं जिसके बाद ही इन्हे हटाया गया था।

उच्च अधिकारियों का भी तबादला कराने भरते थे दम,ऊंची पकड़ का था इन पुलिस कर्मियों को घमंड

तीनों पुलिसकर्मी अपने उच्च अधिकारियों का भी तबादला कराने का दम भरते थे।

अपने विरुद्ध खासकर दोषपूर्ण कार्यप्रणाली को लेकर कोई आपत्ति किए जाने पर यह अधिकारियों को ही अन्यत्र भेंजने का दम भरते थे।

पुरवर्ती शासनकाल में इन्हे राजनीतिक रूप से इतना संरक्षण प्राप्त था की इनकी हर मनमानी हर गलती गलती नहीं मानी जायेगी यह इन्हे विश्वास था।

बताया जाता है की अधिकारी भी विभाग के इनसे भयभीत रहते थे की कब किसकी पदस्थापना यह कहां करा दें।

वैसे सत्ता परिवर्तन के बाद इनकी ऊंची पकड़ फीकी पड़ती नजर आ रही है और इन्हें निलंबन का दंश झेलना पड़ रहा है जो नजर आ रहा है।

ऊंची पकड़ वाले पुलिसकर्मियों की सिफारिश भी नहीं आई काम,बीमारी का बहाना बनाकर भी निलंबन से बचने में हुए नाकाम

ऊंची पकड़ का धौंस जमाने वाले तीन पुलिसकर्मियों की जहां ऊंची पकड़ काम नहीं आई वहीं उनकी सिफारिश का भी असर वर्तमान नई सरकार के कार्यकाल में देखने को नहीं मिला।

बीमारी की नौटंकी भी उनकी कारगर साबित नहीं हुई और तीनों निलंबित कर दिए गए।तीनों को दोषी माना गया निलंबन की कार्यवाही हुई।

अब वर्तमान सरकार के कार्यकाल में इनकी ऊंची पकड़ बेमानी साबित हो चुकी है ऐसा कहना गलत नहीं होगा।

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